एसडीओ और एसडीएम के बीच का अंतर (SDO and SDM Difference in Hindi)

By Trusted Khabar

Updated on:

SDO and SDM Difference in Hindi

पीएससी की तैयारी करते हैं, तो आप एसडीओ और एसडीएम के पद के बारे में तो जानते ही होंगे और यूपीएससी के इंटरव्यू में भी अभ्यर्थियों से कई बार इन दोनों पदों के अंतर से जुड़ा हुआ प्रश्न पूछा जा चुका है।

वैसे तो इन पदों के नाम में बहुत अधिक अंतर नहीं है, लेकिन इन दोनों पद पर कार्य करने की शैली में बहुत अंतर होता है, जहां तक एसडीओ की बात है, तो एक जिले में बहुत सारे एसडीओ हो सकते हैं, जबकि एसडीएम 1 जिले में एक ही होता है और वह केवल अपने जिले के कार्यों को ही देखता है।

तो आज इस आर्टिकल में हम आपको एसडीओ और एसडीएम के बीच क्या अंतर होता है (SDO and SDM Difference) तथा एसडीएम बनने के लिए आपके पास कितनी योग्यता होनी चाहिए, इसके बारे में आपको विस्तार से जानकारी देंगे।

तो यदि आप एसडीओ और एसडीएम बनने से संबंधित पूरी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ना चाहिए।

एसडीओ कौन होता है? (SDO Kaun Hota Hai)

SDO and SDM Difference in Hindi

एसडीओ का फुल फॉर्म सब डिविजनल ऑफिसर (Sub Divisional Officer) होता है, जो किसी भी सरकारी विभाग जैसे सिंचाई विभाग, बिजली विभाग में कार्य कर सकता है। एसडीओ सरकार के संगठन का एक प्रमुख अंग होता है, जो किसी भी जिले में सब डिविजनल का प्रमुख अधिकारी होता है।

एसडीओ अपने क्षेत्र में होने वाले प्रमुख कार्यों का संचालन करता है तथा यदि उसके क्षेत्र में किसी व्यक्ति को कोई समस्या आती है, तो एसडीओ उसकी समस्या का भी समाधान करता है।

इसके अतिरिक्त एसडीओ की जिम्मेदारी होती है, कि वह अपने ब्लॉक में होने वाले सभी कार्यों की जांच करें तथा कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कठोर कदम उठाएं, जिससे उसके क्षेत्र में शांति व्यवस्था बनी रहे।

एसडीएम कौन होता है? (SDM Kaun Hota Hai)

एसडीएम का फुल फॉर्म सब डिविजनल मजिस्ट्रेट (Sub Divisional Magistrate) होता है, जो प्रशासनिक कार्यों को करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

इसके अतिरिक्त एसडीएम अपने अनुमंडल के अंतर्गत आने वाले तहसीलदार और जिलाधिकारी का प्रतिनिधित्व करता है और सभी तहसीलदार एसडीएम के अंतर्गत ही कार्य करते हैं।

किसी भी राज्य में जितने जिले होते हैं, उन जिलों को विभाजित करके सब डिविजन्स बनाए जाते हैं और इन डिविजन्स को संभालने की जिम्मेदारी एसडीएम की होती है।

भारत के कुछ राज्यों में एसडीएम को सब कलेक्टर के नाम से भी जाना जाता है, जबकि यूपी तथा बिहार में एसडीएम जमीन से संबंधित मामलों की भी निगरानी करते हैं।

एसडीओ और एसडीएम के बीच में क्या अंतर है? SDO and SDM Difference in Hindi

SDO and SDM Difference in Hindi – यदि आप एसडीओ और एसडीएम के बीच का अंतर जानना चाहते हैं, तो आपको नीचे कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में बताया गया है, जिसे आप पढ़ सकते है।

एसडीओ (Sub Divisional Officer)

  • एसडीओ को उप भागीय अधिकारी भी कहा जाता है।
  • एसडीओ के पास अपने डिविजनल में भूमि राजस्व संहिता की शक्ति का उपयोग करने की शक्ति होती है।
  • एसडीओ सभी तहसीलदार का प्रमुख होता है।
  • एसडीओ सब डिविजनल के मुख्य सिविल अधिकारी होते हैं, जो अलग-अलग विभागों में नियुक्त हो सकते हैं।
  • एक ही जिले में बहुत सारे एसडीओ की नियुक्ति की जा सकती है।

एसडीएम (Sub Divisional Magistrate)

  • एसडीएम को उप प्रभागीय अधिकारी कहा जाता है।
  • एसडीएम क्षेत्र स्तर पर राजस्व विभागों की गतिविधियों को देखते हैं।
  • एसडीएम सीआरपीएफ की शक्ति का इस्तेमाल करता है।
  • एसडीएम कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियों का उपयोग करते हैं।
  • एसडीएम के पास किसी व्यक्ति को आधिकारिक प्रक्रिया संहिता की धारा 44 के अंतर्गत गिरफ्तार करने की शक्ति होती है।

एसडीओ बनने के लिए कितनी योग्यता होनी चाहिए?

एसडीओ की नियुक्ति लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षा के आधार पर किया जाता है और एसडीओ बनने के लिए प्रत्येक राज्यों में हर साल परीक्षा आयोजित कराई जाती है, जिसमें भाग लेकर आप एसडीओ बन सकते हैं।

तो आइए अब एसडीओ बनने के लिए महत्वपूर्ण योग्यताओं के बारे में जानते हैं।

  • ऐसे उम्मीदवार जो एसडीओ परीक्षा के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उनके पास भारत की नागरिकता होनी चाहिए।
  • एसडीओ भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए उम्मीदवार के पास ग्रेजुएशन की डिग्री होना अनिवार्य है।
  • ग्रेजुएशन की डिग्री को आप किसी भी स्ट्रीम से कर सकते हैं।
  • आपकी उम्र 21 वर्ष से कम अथवा 30 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
  • ऐसी उम्मीदवार जो अन्य पिछड़ा वर्ग से आते हैं, उन्हें अन्य जातियों की अपेक्षा अतिरिक्त छूट दी जा सकती है।

एसडीएम बनने के लिए कितनी योग्यता होनी चाहिए?

यदि आप एसडीएम बने में रुचि रखते हैं, तो आपको एसडीएम बनने के लिए आवश्यक योग्यताओं के बारे में जानकारी होनी चाहिए।

  • एसडीएम बनने के लिए आपको स्नातक की डिग्री लेनी होगी अथवा यदि आप ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष में है, तो भी आप एसडीएम के पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।
  • एसडीएम बनने के लिए आपके पास कंप्यूटर का ज्ञान होना आवश्यक है।
  • एसडीएम बनने के लिए 21 वर्ष से 32 वर्ष की आयु सीमा निर्धारित है, यह उम्र सीमा अलग-अलग जाति के लोगों के लिए अलग-अलग हो सकती है।
  • यदि कोई छात्र दुर्भाग्यवश विकलांग है, तो उसे एसडीएम पद के लिए आवेदन करने के लिए 10 साल की अतिरिक्त छूट मिलती है, और वह 42 साल की उम्र तक परीक्षा दे सकता है।

एसडीएम को क्या काम करना होता है?

एसडीएम अपने जिले में होने वाले सभी कार्यों की देखरेख करता है तथा अपनी निगरानी में सभी कार्यों को संपन्न करता है, इसके अलावा एसडीएम 1973 अपराधिक प्रक्रिया संहिता के अंतर्गत विभिन्न मजिस्ट्रेट के कर्तव्यों का भी पालन करता है।

तो आइए अब एसडीएम के कामों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

#1. प्रशासनिक कार्यवाही करना

एसडीएम अपने जिले में होने वाले प्रशासनिक कार्यों को संचालित करते हैं तथा समस्त अधिकारियों के साथ मिलकर अपने विभाग से जुड़े हुए सभी कार्यों का जायजा लेते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें सही दिशा निर्देश देते हैं, जिससे वह सही ढंग से कार्य कर सकें।

#2. विकास कार्यों को करना

एसडीएम आवश्यकता पड़ने पर अपने जिले में होने वाले विकास कार्यों का भी जायजा लेते हैं तथा शिक्षा स्वास्थ्य तथा कृषि संबंधी कार्यों को बेहतर करने के लिए समस्त तहसीलदारों को निर्देश देते हैं और

आवश्यकतानुसार जरूरी संसाधनों को भी उपलब्ध कराते हैं।

#3. कानून संबंधी मामलों का संचालन करना

एसडीएम पुलिस विभाग का बहुत बड़ा पद होता है, इसलिए एसडीएम को कानून संबंधी मामलों का भी संचालन करना होता हैं और यदि कोई मामला बहुत ही गंभीर होता है, तो एसडीएम अपनी देखरेख में उस मामले की जांच करते हैं, जिससे दोषियों को कड़ी सजा मिल सके।

#4. चुनाव प्रबंधन का संचालन करना

जब भी किसी राज्य में चुनाव होता है, तो चुनाव के दौरान एसडीएम अपने जिले में मतदान केंद्रों का संचालन करते हैं, जिससे पूरी शांति के साथ सभी लोग वोटिंग कर सके और कानून व्यवस्था भी बनी रहे।

#5. सांस्कृतिक कार्यों का संचालन करना

एसडीएम अपने जिले में होने वाले सभी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का संचालन करते हैं तथा मेले अथवा किसी महोत्सव में होने वाले कार्यों का आयोजन करते हैं, जिससे सभी धर्म तथा जाति के लोगों में संवाद बना रहे और किसी भी धर्म अथवा संप्रदाय में दंगा ना हो सके।

एसडीएम की भर्ती प्रक्रिया कैसे होती है?

एसडीएम की भर्ती करने के लिए भारत में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हर साल परीक्षा आयोजित कराई जाती है, जिसको पास करने पर कोई भी व्यक्ति एसडीएम बन सकता है।

इस परीक्षा के चार प्रमुख चरण होते हैं, तो आइए अब उसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

#1. प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स)

एसडीएम बनने के लिए सर्वप्रथम आपको प्रारंभिक परीक्षा देना होता है, जिसमें आपसे MCQ (Multiple Choice Questions) पूछे जाते हैं, इस परीक्षा में आपसे दो प्रकार के ऑब्जेक्टिव प्रश्न पूछे जाते हैं, पहले चरण में आपसे जनरल स्टडीज और दूसरे चरण में आपसे सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट के अंतर्गत प्रश्न पूछे जाते हैं।

इस परीक्षा में आपसे मुख्य रूप से सामान्य ज्ञान, भूगोल, इतिहास, करंट अफेयर्स जैसे विषयों से प्रश्न पूछे जाते हैं और यदि आप प्रीलिम्स में अच्छे नंबर प्राप्त करते हैं, तो उसके पश्चात आप मेंस की परीक्षा दे सकते हैं।

#2. मुख्य परीक्षा (मेंस)

जो उम्मीदवार प्रारंभिक परीक्षा को पास कर लेता हैं,  उसके पश्चात उसको मुख्य परीक्षा देनी होती है, मेंस की परीक्षा में नौ पेपर होते हैं, जिसमें से चार पेपर आपको जनरल स्टडीज के अंतर्गत देना होता है तथा दो पेपर आपको ऑप्शनल सब्जेक्ट के रूप में देना होता है तथा निबंध, एप्टीट्यूड, इंटीग्रिटी और एथिक्स के आपको एक-एक पेपर देना होता है।

#3. पर्सनालिटी टेस्ट (साक्षात्कार)

ऐसे उम्मीदवार जो प्रारंभिक तथा मुख्य परीक्षा दोनों को पास कर लेते हैं, उसके पश्चात उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है, जिसमें आपके पर्सनालिटी टेस्ट का मूल्यांकन किया जाता है तथा आपके कम्युनिकेशन स्किल और किसी कठिन परिस्थितियों में आपके निर्णय लेने की क्षमता के बारे में आकलन किया जाता है।

#4. विभागों का बंटवारा

सिविल सेवा परीक्षा में आपके द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर यूपीएससी आपके लिए एक विभाग नियुक्त करता है, जो कि लोक सेवा आयोग के अंतर्गत आता है, जो भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक मानी जाती है।

#5. एसडीएम की ट्रेनिंग लेना

विभाग का बंटवारा होने के पश्चात पास हुए उम्मीदवारों को एसडीएम की ट्रेनिंग देने के लिए सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किसी प्रशिक्षण अकादमी में भेजा जाता है, जिसमें उन्हें प्रशासनिक कार्यों से जुड़े हुए महत्वपूर्ण स्किल के बारे में जानकारी दी जाती है।

#6. एसडीएम की नियुक्ति

जब कोई उम्मीदवार ट्रेनिंग पूरी कर लेता है, तो उसके पश्चात उम्मीदवार को एसडीएम के रूप में नियुक्त कर दिया जाता है, जिसके पद पर रहते हुए एसडीएम राजस्व विभाग तथा विकास कार्यक्रम की देखरेख करता है।

एक जिले में कितने एसडीम होते हैं?

किसी में जिले में एसडीएम की संख्या उस जिले में मौजूद तहसीलों के आधार पर निर्धारित होती है, जिस जिले में जितने अधिक तहसील होते हैं, वहां पर एसडीएम की संख्या भी उसी आधार पर तय होती है।

इसलिए किसी भी जिले में एक एसडीएम से लेकर 15 से 20 एसडीएम भी हो सकते हैं और एसडीएम की नियुक्ति सीधे तौर पर नहीं होती है, भर्ती की प्रक्रिया संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा पर आधारित होती है, जिसमें एसडीएम बनने के लिए आपको विभिन्न चरणो से गुजरना होता है।

Also read – तहसीलदार और एसडीएम में अंतर क्या होता है? (Tehsildar aur SDM mein antar kya Hota Hai)

FAQS – एसडीओ और एसडीएम के बीच का अंतर

आइए अब एसडीएम और एसडीओ बनने से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण सवाल जवाब के बारे में जानते हैं।

#1. एसडीएम की प्रक्रिया क्या है?

एसडीएम को कलेक्टर मजिस्ट्रेट के द्वारा अधिकृत किया जाता है तथा जिले के अंदर आने वाली सभी तहसील मजिस्ट्रेट के अंतर्गत आती है और एसडीएम का तहसील के प्रति पूरा नियंत्रण होता है।

#2. SDM के लिए योग्यता क्या है?

एसडीम बनने के लिए कोई बहुत बड़े डिग्री की आवश्यकता नहीं होती है, यदि आपने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है और तो आप इस पद के लिए आवेदन कर सकते हैं।

#3. एसडीएम की 1 महीने की सैलरी कितनी होती है?

एसडीएम की सैलरी विभिन्न राज्यों में अलग होती है, उदाहरण के तौर पर, यदि आप उत्तर प्रदेश में एसडीएम के पद पर कार्य करते हैं, तो आपको 56100 से लेकर 177500 रूपये तक सैलरी मिल सकती है, इसके अलावा आपको सरकार द्वारा बहुत सारे भत्ते भी मिलते हैं।

#4. एसडीएम के पास कितनी पावर होती है?

एसडीएम को चुनाव से संबंधित कार्य करना, राजस्व विभाग से जुड़े हुए मुद्दे देखना, गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कराना शामिल हैं, इसीलिए एसडीएम के पास बहुत अधिक पावर होता है।

#5. एसडीएम की नियुक्ति कौन करता है?

एसडीएम की नियुक्ति लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा के आधार पर की जाती है और यदि आप परीक्षा में सफल हो जाते हैं, तो आपकी नियुक्ति हो सकती है।

Also Read – जानिए डीएम और कमिश्नर में क्या अंतर है? (DM Aur Commissioner Mein Kya Antar Hai)

निष्कर्ष – एसडीओ और एसडीएम के बीच का अंतर

दोस्तों इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको एसडीओ तथा एसडीएम क्या होता है तथा इन दोनों के बीच में क्या अंतर होता है, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दीं हैं।

इसके अतिरिक्त हमने आपको एसडीएम की भर्ती की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दीं है, जिसको फॉलो करके आप एसडीएम बन सकते हैं।

वैसे तो एसडीएम की परीक्षा लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाती है, इसीलिए सभी राज्यों में परीक्षा का पैटर्न एक जैसे ही रहता है, लेकिन एसडीओ भर्ती की प्रक्रिया अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है।

उम्मीद करते हैं, आपको इस आर्टिकल में बताई गई  जानकारी पसंद आई होगी और आपको एसडीओ तथा एसडीएम के बीच अंतर पता चला होगा‌।

Leave a Comment